वैश्विक पहल



Sendai Framework - सेंडई फ्रेमवर्क

आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क 2015-2030 (सेंडाई फ्रेमवर्क) 2015 के बाद के विकास एजेंडे का पहला बड़ा समझौता था जो सदस्य राज्यों को आपदा के जोखिम से विकास लाभ की रक्षा के लिए ठोस कार्यवाही प्रदान करता है।
सेंडई फ्रेमवर्क अन्य 2030 एजेंडा समझौतों के साथ काम करता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता, विकास के लिए वित्त पोषण पर अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा, नया शहरी एजेंडा और अंततः सतत विकास लक्ष्य शामिल हैं। आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डब्ल्यूसीडीआरआर) पर 2015 के तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसका समर्थन किया गया था, और जीवन, आजीविका और स्वास्थ्य और व्यक्तियों, व्यवसायों, समुदायों और देशों की आर्थिक, भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संपत्ति में आपदा जोखिम और नुकसान में पर्याप्त कमी पर जोर दिया गया। यह मानता है कि आपदा जोखिम को कम करना राज्य की प्राथमिक भूमिका है लेकिन उस जिम्मेदारी को स्थानीय सरकार, निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों सहित अन्य हितधारकों के साथ साझा किया जाना चाहिए।
सेंडई फ्रेमवर्क एक प्रगतिशील ढाँचा है और इस महत्त्वपूर्ण फ्रेमवर्क का उद्देश्‍य 2030 तक आपदाओं के कारण महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को होने वाले नुकसान और प्रभावित लोगों की संख्‍या को कम करना है। यह 15 वर्षों के लिये स्वैच्छिक और गैर-बाध्यकारी समझौता है, जिसके अंतर्गत आपदा जोखिम को कम करने के लिये राज्य की भूमिका को प्राथमिक माना जाता है, लेकिन यह ज़िम्मेदारी अन्य हितधारकों समेत स्थानीय सरकार और निजी क्षेत्र के साथ साझा की जानी चाहिये।


सात वैश्विक लक्ष्य
• वर्ष 2030 तक 2005-2015 की अवधि के मुकाबले 2020-2030 के दशक में औसत वैश्विक मृत्यु दर को प्रति 100,000 तक कम करना।
• वर्ष 2030 तक 2005-2015 की अवधि की तुलना में 2020-2030 के दशक में वैश्विक रूप से आपदा प्रभवित लोगों की औसत संख्या को प्रति 100,000 तक कम करने का लक्ष्य है।
• वर्ष 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के संबंध में प्रत्यक्ष आपदा से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करना।
• वर्ष 2030 तक आपदा से होने वाली क्षति तथा साथ ही स्वास्थ्य और शैक्षिक सुविधाओं तथा महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और बुनियादी सेवाओं में व्यवधान को कम करना।
• वर्ष 2020 तक राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा जोखिम में कमी की रणनीति अपनाने वाले देशों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करना।
• वर्ष 2030 तक इस फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिये अपने राष्ट्रीय कार्यों की पूर्ति हेतु पर्याप्त और सतत समर्थन के माध्यम से विकासशील देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
• वर्ष 2030 तक मल्टी-हज़ार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम, आपदा जोखिम की जानकारी तथा आकलन की उपलब्धता में पर्याप्त वृद्धि करके लोगों की पहुँच इन तक सुनिश्चित

SDG (Sustainable Development Goals)

सतत् विकास लक्ष्य


सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), जिन्हें वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, को 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्यों द्वारा गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था कि सभी लोग 2030 तक शांति और समृद्धि प्राप्त कर सके।
वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ के तहत सदस्य देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात् एसडीजी (Sustainable Development goals-SDGs) तथा 169 प्रयोजन अंगीकृत किये गए हैं।
17 एसडीजी एकीकृत हैं – जिसके तहत एक क्षेत्र में कार्यवाही दूसरों के परिणामों को प्रभावित करेगी तथा इस विकास द्वारा सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र का एजेंडा 2030 (17 विकास लक्ष्य)
1. गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति।
2. भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और स्थायी कृषि को बढ़ावा।
3. सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा।
4. समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना।
5. लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना।
6. सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत् प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
7. सस्ती, विश्वसनीय, स्थायी और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
8. सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना।
9. लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा।
10. देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना।
11. सुरक्षित, लचीले, स्थायी शहर और मानव बस्तियों का निर्माण।
12. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।
13. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से बचने के लिये तत्काल कार्यवाही करना।
14. स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
15. सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
16. सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेहपूर्ण बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके।
17. सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर प्रधानमंत्री का दस सूत्री एजेंडा


1. सभी विकास क्षेत्र आपदा जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों को अपनाएं।
2. गरीब परिवार से लेकर, एसएमई से लेकर एमएनसी तक रिस्क कवरेज की तरफ काम करें।
3. आपदा जोखिम प्रबंधन में महिलाओं के नेतृत्व और अधिक से अधिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए।
4. विश्व स्तर पर रिस्क मैपिंग में निवेश किया जाए।
5. आपदा जोखिम प्रबंधन के प्रयासों की दक्षता बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का फायदा उठाया जाए।
6. आपदा मुद्दों पर काम करने के लिए विश्वविद्यालयों का एक नेटवर्क तैयार किया जाए।
7. सोशल मीडिया और मोबाइल टेक्नोलॉजी द्वारा दी गयी सुविधाओं का उपयोग किया जाए।
8. स्थानीय क्षमता पर निर्माण और आपदा जोखिम न्यूनीकरण बढ़ाने की पहल करे।
9. किसी भी आपदा से सीखने का मौका नहीं गवाना चाहिए।
10. आपदाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया में अधिक से अधिक सामंजस्य लाया जाए।